मदन मोहन सक्सेना की रचनाएँ
Monday, October 7, 2013
मुक्तक (आदत)
मुक्तक (आदत)
मयखाने की चौखट को कभी मंदिर ना समझना तुम
मयखाने जाकर पीने की मेरी आदत नहीं थी
चाहत से जो देखा मेरी ओर उन्होंने
आँखों में कुछ छलकी मैंने थोड़ी पी थी
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
1 comment:
अभिषेक शुक्ल
October 13, 2013 at 7:51 AM
बहुत खूब...
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत खूब...
ReplyDelete