मदन मोहन सक्सेना की रचनाएँ
Monday, August 22, 2016
मुक्तक ( यदि पत्थर को समझाते)
मुक्तक (
यदि पत्थर को समझाते)
दिल में जो तमन्ना है जुबाँ से हम ना कह पाते
नज़रों से हम कहतें हैं अपने दिल की सब बातें
मुश्किल अपनी ये है कि समझ वे कुछ नहीं पातें
पिघल कर मोम हो जाता यदि पत्थर को समझाते
मदन मोहन सक्सेना
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment