Monday, September 16, 2013

बिनती


 
बिनती


हे रब किसी से छीन कर मुझको ख़ुशी ना दीजिये 
जो दूसरों को बख्शी को बो जिंदगी ना दीजिये

तन दिया है मन दिया है और जीवन दे दिया
प्रभु आपको इस तुच्छ का है लाखों लाखों शुक्रिया

चाहें दौलत हो ना हो कि पास अपने प्यार हो
प्रेम के रिश्ते हों सबसे ,प्यार का संसार हो

मेरी अर्ध्य है प्रभु आपसे प्रभु शक्ति ऐसी दीजिये
मुझे त्याग करूणा प्रेम और मात्र  भक्ति दीजिये

तेरा नाम सुमिरन मुख करे कानों से सुनता रहूँ
करने को  समर्पित पुष्प मैं हाथों से चुनता रहूँ

जब तलक सांसें हैं मेरी ,तेरा दर्श मैं पाता रहूँ 
ऐसी  कृपा  कुछ कीजिये तेरे द्वार मैं आता रहूँ




प्रस्तुति : 
मदन मोहन सक्सेना

1 comment:

  1. ...वाह! लाज़वाब अभिव्यक्ति...

    यहाँ भी पधारें
    http://sanjaybhaskar.blogspot.in

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